बहार रुत मे उजड़े रस्ते,
तका करोगे तो रो पड़ोगे
किसी से मिलने को जब भी मोहसिन,
सजा करोगे तो रो पड़ोगे
तुम्हारे वादों ने यार मुझको,
तबाह किया है कुछ इस तरह से
कि जिंदगी में जो फिर किसी से,
दगा करोगे तो रो पड़ोगे
मैं जानता हूँ मेरी मुहब्बत,
उजाड़ देगी तुम्हें भी ऐसे
कि चाँद रातों मे अब किसी से,
मिला करोगे तो रो पड़ोगे
बरसती बारिश में याद रखना,
तुम्हें सतायेंगी मेरी आँखें
किसी वली के मज़ार पर जब
दुआ करोगे तो रो पड़ोगे!