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बांसती!! मोरे अंगना / निशा माथुर
Kavita Kosh से
प्रणय की है मनुहार
प्रीत की है रस धार
हो शहदीली रातें
बांसती, मोरे अंगना!
मदनी मेरी चाल ढाल
उलझे गेसूं गाल लाल
चितवन करे चोरी,
बांसती, मोरे अंगना!
मुंडेर चहके चिङिया
कारी कोयल कूकिया
कगंना भी खनके
बांसती, मोरे अंगना!
टेसू फूले लाल लाल
सरसों झूमे डाल डाल
छायी अमराई बौरे
बांसती, मोरे अंगना!
बहकी बहकी पुरवा
नैनन भई है निंदिया
अलसाई-सी बातें
बांसती, मोरे अंगना!
पांव थिरके ताल ताल
फागुन खिले गुलाल
महुआ भी महके
बांसती, मोरे अंगना!