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बागा उड़न्ती चिरैया भले भले सगुन उचारे / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बागा उड़न्ती चिरैया भले भले सगुन उचारे
सगुन चिरैया हो।
विहँसत आवे राजा आजोला लये नाती-बहु साथ।
आगे हो सूप टिपारे पाछै सजनजू की जोय।
बागा उड़ती चिरैया भले भले सगुन उचारे।
डिरकत आवै भूरीं भैंसे तो रूरकत आवै पड़ेरू।
रंभात आवे गैंया उनके साथ बछेरू।
बागा उड़न्ती चिरैया...
विहँसत आवै राजा बीबोला लये बेटी बहू साथ।
आगे हो सूप टिपारे पाछै सजनजू की जोय।