बाजै छै बीन / भाग-11 / सान्त्वना साह
गाँधी के देश
गाँधी तोरोॅ देश में
केसरिया भेष में
त्याग के संदेश में
के फँसलोॅ छै द्वेष में?
दूर खड़ा देखै छोॅ की?
लिखला केॅ मेटै छोॅ की?
बखरा केॅ रेटै छोॅ की?
मथला केॅ फेटै छोॅ की?
फनु जनम लेॅ तों एक बार
थामी लेॅ सबके पतवार
उब-डुब नैया होतै पार
सच्चाई के जै-जैकार।
मातृभूमि महान
पढ़ी-लिखी केॅ बनभेॅ तों की
इन्जीनियर, डाक्टर या गुरूजी
माय-बाबू केरोॅ नै सेवा जौं की
पैभेॅ नै मेवा सब्भे जतन करी
तोंही तेॅ छेकौ कोखी के लाल
गाँधी, सुभाष, जवाहर लाल
देशोॅ के भावी नौनीहाल
लछमी, दुर्गा, लाल, बाल पाल
माटी पुकारै छौं तोरा बेहाल
आवोॅ हो नुनू-पिन्ही जयमाल
मस्तक हिमालय के ऊँच्चोॅ रहेॅ
सागर चरण केॅ पखारते रहेॅ
जोगना छौं तोर्है, देशोॅ के आन
माय्यो महान, मातृभूमियो महान।
झगड़ा-झुगड़ी
एक छेलै बनरा, एक छेलै बनरी
दोनों में होलै झगड़ा-झुगड़ी
रूसी केॅ बनरा गेलै सोसरार
वहाँ भेटैलै सारी चार
दाँत किची बानर किकियाय
सारी केॅ नै छै परबाय
नाकी में औंगरी, कानी में बाल
फुरफुरी लै छोटकी बेहाल
खाय लेॅ कोय नै पुछै छै आय
आबेॅ बनरवा कन्नें जाय
सोची चललै जंगल दीस
गाछी-गाछी फूल-फल बीस
माय वनदेवी बाप वनदेव
खैलकै बनरा भरी पेट सेव
झगड़ा-झुगड़ी नै करोॅ भाय
बोलोॅ जय-जय भारत माय।
दादा के चश्मा
दादा के चश्मा भुलावै छै रोज
खिजियावै झंझुआवै दादी हनोज
आरी, गड़ारी, बहियारी में खोज
पोघलावै, फुसलावै-जो रे मनोज
दादा के चश्मा छै भारी बड़ी
पिन्ही केॅ देखतेॅ रहै छै घड़ी
खेलै-कूदै के नै रहै छै छूट
माँगै छै बजड़ी मूसल सेॅ कूट
छूटै छै हाथोॅ सेॅ लाठी कभी
दाँतोॅ के औकसा, तेॅ चाभी कभी
चनको देखावै छै नक्कल करी
दादा हाँसै छै, दादी हूबगरी।
हँसी-ठिठोली
आय लगै छै, उटका-पैंची
होतै भैया-भौजी में
चल खेलै लेॅ कौड़ी पचीसी
घौंदी में, मनमौजी में
भौजी लै लटझारोॅ
भैया मुस्की केॅ चिढ़कावै छै
करिया गुज-गुज साँप देखी केॅ
सारोॅ कही बोलावै छै
लै खड़खड़िया ऐल्हौं भैया
फन काढ़ी केॅ हियावै छै
चार कहरिया, एक लेतरिया
ओलती तर फुफकारै छै
भाय के भाय रहेॅ लजाय
बैहनी के भाय घोॅर ढुकी खाय
कही-कही केॅ ननद सलोनी
कोठी-सानी नुकावै छै।
कुढ़ी-कुढ़ी केॅ तरे-तर भौजी
भैया पर कन्हुआवै छै
देखी-सुनी केॅ हँसी-ठिठोली
ऐंगना-घोॅर जुड़ावै छै।
मन्नी कियाल
मन्नी कियाल
जटियैलोॅ बाल
घरे-घर नापै छै
चौॅर, गहूंम, दाल
तरजू उठावै छै
भरी-भरी थाल
रामे जी राम बोलै
घड़ी-घड़ी साल
एके राम, दुए राम
दसे राम, बीस
नापै के मन्नी
माँगै छै फीस
खोलै छै मुठिया
गिनी केॅ बीस
तभिये तेॅ भरै छै
रधिया के फीस।
परवैतिन (तालवृन्द गीत)
बहिन परवैतिन गे, तोर्है बलोॅ पर टीकलोॅ छै संसार
करमा-धरमा, भैया दूज
रखिया बान्ही कच्चा सूत
बहिन परवैतिन गे, तोर्हे बलोॅ पर जोगलोॅ परब-तिहार
गंगा-कुइयाँ नददी-नाजा
पूजी-पूजी, टेकी माथा
बहिन परवैतिन गे, तोर्हे बलोॅ पर बहै छै जलधार
औरा, तुलसी, पीपर, बड़
आम, बेल, महुआ, नीमी तर
बहिन परवैतिन गे, तोर्हे बलोॅ पर बहै शीतल बयार
चंदा, सूरज, तारा, आकास
गरह-नछत्तर लगे झकास
बहिन परवैतिन गे, तोर्हे बलोॅ पर झकमक छै संसार।
जय भारत
जय भारत, जय-जय भारत
भारत माय के जय
जय गंगोत्री, जय जमुनोत्री
त्रिवेणी के जय
जय गिरिराज, जय हिमताज
पशुपतिनाथ के जय
जय अमरनाथ, जय सारनाथ
जय विश्वनाथ के जय
जय बद्रीनाथ, जय केदारनाथ
जय बैजनाथ के जय
जय विंध्याचल, जय मंदराचल
मलय गिरि के जय
जय कश्मीर, जय-जय करगिल
जय विस्मिल के जय
जय कन्याकुमारी के जय
कपिल मुनि के जय
जय केसरिया, हरा, सफेद
अशोक चक्र के जय
जय चम्पा, बिहुला, जय कर्ण
आर्य भट्ट के जय
जय वसुधा, जय वसुन्धरा
विक्रमशील देव के जय
जय रविन्द्र, जय शरतचन्द्र
अंगजनपद के जय
जय भारत, जय-जय भारत
भारत माय के जय।
डोल-डोल
डोल-डोल डोले-डोल
नुनू डोल, बाबु डोल
सोना डोल, राजा डोल
कान्हा डोल, लल्ला डाल
गोलू डोल, भोलू डोल
सूरज डोल, चंदा डोल
ऐंगना डोल, ओसरा डोल
सुपती डोल, मौनी डोल
अँखिया डोल, निंदिया डोल
डोल-डोल, डोले-डोल।
माय के ममता
ममता के मन्दिर में
ममता के देवी
ममता के मूरत रङ
शोभै महादेवी
ममता सुतावै छै
गावी केॅ लोरी
ममता जगावै छै
मिसरी केॅ घोरी
ममता पिलावै छै
अमृत के घोंट
ममता दुलरावै छै
छाती पंजोठ
ममता के ठुनका में
अक्षर के बोध
ममता के मनका में
सुन्दर सुबोध
ममता के आँखी में
भरलोॅ छै प्रीत
ममता के बाँही में
जीवन के गीत
ममता जुड़ावै छै
ममता के बोल
ममता अनमोल
ममता अनमोल।