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बारहा लाजवाब आता है / अनिरुद्ध सिन्हा
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बारहा लाजवाब आता है
ज़ख्म देकर जो ख़्वाब आता है
जब मुहब्बत से लोग मिलते हैं
तब वहाँ इन्क़लाब आता है
फिर भी रौशन जहां नहीं होता
रोज़ ही आफताब आता है
अब कहाँ प्यार के लिफाफ़े में
कोई लेकर गुलाब आता है
शायरी में मज़ा तभी आता
शेर जब क़ामयाब आता है