बिराजित स्यामा-स्याम निकुंज।
गौर-स्याम बदनारबिंद अनुपम सुषमा-सुख-पुंज॥
घुँघराली अलकावलि बिथुरी छाई कलित कपोल।
बाँर्ईं बाँह स्याम की सोभित स्यामा-कंठ अतोल॥
दोनों के दृग बने मधुप दोनों के बदन-सरोज।
करत परस्पर प्रान सुधा-रस, लाजत अमित मनोज॥
प्रेम भरी सुचि सखी-मंजरीं ठाढ़ी सब चहुँ पास।
निरखि मनोहर मधुर जुगल छबि हिय अति भर्यौ हुलास॥