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बिल्ली भो पाल में / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
घूम रही भोपाल में बिल्ली,
जा पहुँची थी मॉल में बिल्ली।
चौंक पड़ी थी काला काला,
देख देख कर दाल में बिल्ली।
कई लोगों ने उसे बुलाया,
नहीं फँसी पर जाल में बिल्ली।
चाह रही थी ज़ाहिर करना,
करतूतें हर हाल में बिल्ली।
नहीं कहीं से मिली मदद तो,
बैठ गई हड़ताल पर बिल्ली।
ग़ुस्से के मारे दुष्टों को,
मार रही है गाल में बिल्ली।
पुलिस आई तो हुई सहायक,
जाँच और पड़ताल में बिल्ली।