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बेगानी तितली / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
तितली रानी, रानी तितली,
है जानी पहचानी तितली।
पंख चलाकर आ जाती है,
हमें छककर उड़ जाती है।
मेरी छोटी-सी बगिया कि,
छोटी-सी महारानी तितली।
कहाँ-कहाँ रस पीकर आई,
कितने फूलों से मिल आई।
नहीं पता है फिर भी लगती,
जैसे भोर सुहानी तितली।
पीली नीली लाल गुलाबी,
सबमें भरी हुई है चाबी।
हाथ लगाने से पहले ही,
उडी, हुई बेगानी तितली।