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बेटियाँ (छंद विमोहा) / अनामिका सिंह 'अना'
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गीत हैं बेटियाँ, मीत हैं बेटियाँ।
प्रीति के छंद-सी, नेह आनंद-सी॥
मातु की लाड़ली, नाज से हैं पली।
हैं घटा सावनी, आयतें पावनी॥
ये जले दीप-सी, शुभ्र हैं सीप-सी.
पाक ये हव्य-सी, ज्योति हैं भव्य-सी॥
मारियेगा नहीं, भूल से भी कहीं।
बेटियाँ शान हैं, सृष्टि की जान हैं॥