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बेटे का खेल / तादेयुश रोज़ेविच
Kavita Kosh से
मेरे पढने के कमरे में घुस आता है मेरा मासूम बेटा
कहता है मैं एक चूहा हूँ
आप हैं गिद्ध ।
मैं मोड़ देता हूँ पढ़ी जाती क़िताब
मुझमें निकल आते हैं
एक गिद्ध के डैने और पंजे ।
अब मैं एक गिद्ध हूँ
और वह एक चूहा
हमारी मनहूस छाया दीवार पर लुका-छिपी खेल रही है ।
'अब आप एक भेड़िया हैं
मैं हूँ बकरी'
[उसने खेल बदल दिया है]
मैं घुमने लगता हूँ टेबल के चारों ओर
खिड़की की रौशनी के अन्धेरे में
भेड़िया चमकता है
नुकीले दाँतों के साथ ।
वह भागता है अपनी माँ को पुकारता
उसके नर्म आँचल में मुँह छुपा लेता है ।