बोधिसत्य अयोथीदास / बाल गंगाधर 'बागी'
तमिलनाडु की धरती से, बुद्ध के ज्ञान को फैलाये
घूम-घूम दक्षिण भारत में, सम्यक झण्डा फहराये
समानता के फूल को, जन-जन में पिरो दिया
हार अहिंसा के प्रेम से, लोगों का मन मोह लिया
दीन दलित को गले लगाकर, गौतम का सद्मार्ग दिया
हर पिछड़े को आगे रखकर, खूब मान-सम्मान दिया
नीच नहीं न ऊंच कोई, सब में समता फैलाया
बुद्ध संघ में समरसता है, जन-जन को यह समझाया
छुआछूत हत्या शोषण, मजलूमों पर भारी था
जातिवाद का चक्र घना, पाखण्ड चमत्कारी था
कोई गरीब तो कोई अमीर, या कोई बेहाल था
बेगारी मजदूरी था न, कुछ भोजन न पानी था
गड्ढे खोद मरे जानवर, गांव से लाकर डालते थे
रस्सी से बांध बांस डालकर, सड़ा मांस ले जाते थे
यही दलितों को यहाँ पर, जातिवादियों ने दिया
मजदूरी मांगने वालों को, पीट-पीट कर मार दिया
चारों ओर हत्याओं का, तूफान उमड़ ही आया था
डंका चोरी अपमान घृणा, तिरस्कार ही छाया था
विद्वान अयोथीदास तब, मसीहा बनकर आये
गौतम के ज्ञान की, करुणा मैत्री फैलाये
अन्याय दमन व हत्या की, आंधी का था नाम नहीं
जब बिगुल बजाया समता का, लोगों की तब आंख खुली
श्रीलंका से उत्तर भारत, बौद्ध धम्म को फैलाये
मज़लूमों का चिराग बनकर, बोधि लिये लड़ने आये