घनघोर अन्हरिया में
एगो भगजोगनी के चमक से
भले पूरा रस्ता
न कर सकइअऽ पार
लेकिन जब मन
चारो तरफ से
हो जाइअऽ हतास
त एक्के गो भगजोगनी
मन के चारो कोना के
परकास से भर देइअऽ
घनघोर अन्हरिया में
एगो भगजोगनी के चमक से
भले पूरा रस्ता
न कर सकइअऽ पार
लेकिन जब मन
चारो तरफ से
हो जाइअऽ हतास
त एक्के गो भगजोगनी
मन के चारो कोना के
परकास से भर देइअऽ