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भदेश / जयप्रकाश कर्दम
Kavita Kosh से
वे भक्त हैं, मैं विभक्त हूं
वे स्वीकृत हैं, मैं निरस्त हूं
वे त्यागी हैं, मैं त्यक्त हूं
वे सन्त हैं, मैं अनन्त हूं
वे दिशा हैं, मैं दिगंत हूं
वे पतझड़ हैं, मैं बसंत हूं
वे उग्र हैं, मैं अशांत हूं
वे निशा हैं, मैं निशांत हूं
वे आक्रामक हैं, मैं आक्रांत हूं
वे काव्य हैं, मैं वृतांत हूं
वे धीर हैं, मैं अधीर हूं
वे आत्मा हैं, मैं शरीर हूं
वे सम्पूर्ण हैं, मैं शेष हूं
वे सामान्य हैं, मैं विशेष हूं
वे देश हैं, मैं विदेश हूं।
वे भाषा हैं, मैं भदेश हूं
वे राग हैं, मैं विराग हूं
वे अंधेरा हैं, मैं चिराग हूं।