भाई दूज / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’
लगा चंदन तिलक भाई,
बहन अब गीत है गाई।
जियो तुम युग,युगों भाई ,
कि भैया दूज तिथि आई।
सलामत तुम रहो भाई,
बहन देने दुआ आई।
रहो खुशहाल तुम भाई,
करें दीर्घायु देवी माई।
यशस्वी हो सदा जग में,
नहीं कंटक चुभे पग में।
तिलक माथे लगाऊँ मैं,
मधुर तुझको खिलाऊँ मैं।
सुगंधित है घना भाई,
बहन का प्यार जो पाई।
रहे आबाद घर आँगन,
करें सब देव आ गायन।
सदा अहिवात से भाभी,
भरी हो मांग सौभागी।
सुभग भैया लगे मेरे,
युगल जोड़ी अचल तेरे।
सदा आबाद पीहर भी,
रहे आबाद पी घर भी।
बहन सिरमौर हो भाई,
पले हम गोद में माई।
नज़र में है बसा बचपन,
भले अब आयु हो पचपन।
बहन करती दुआ रब से,
निहारूँ पथ खड़ी कब से।
घड़ी पावन सुनो आई,
सजी थाली बहन लाई,
लगा चंदन तिलक भाई,
कि भैया दूज तिथि आई।