भारत / दीनानाथ सुमित्र
भारत, अति विशाल गौरव का
इस जग में आधार
वन, उपवन, नद, नदियाँ, पर्वत
का जिसमें विस्तार
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे हैं
चर्च शान्ति संकेत
जहाँ प्रेम से सब रहते हैं
भारत एक निकेत
भारत है प्राचीन हमारा
है प्राचीन विहार
भारत, अति विशाल गौरव का
इस जग में आधार
वन, उपवन, नद, नदियाँ, पर्वत
का जिसमें विस्तार
उत्तर का मैदान अन्नदा
सुख-संपदा अशेष
श्यामल-श्यामल इस मिट्टðी की
रचना लगे विशेष
तीन तटों पर लहराता है
सागर का विस्तार
भारत, अति विशाल गौरव का
इस जग में आधार
वन, उपवन, नद, नदियाँ, पर्वत
का जिसमें विस्तार
यह देवों का देश
देवियों का सुंदर आवास
यहाँ योग का महीयोग है
सन्यासी, सन्यास
अमन, चैन, भाईचारा से
सब को गहरा प्यार
भारत, अति विशाल गौरव का
इस जग में आधार
वन, उपवन, नद, नदियाँ, पर्वत
का जिसमें विस्तार