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भारत माय / प्रदीप प्रभात
Kavita Kosh से
भारत माय प्यारी छै।
सैसेॅ दुनिया सेॅ न्यारी छै॥
रंग-बिरंगोॅ फूलोॅ के।
मनभावन फुलवारी छै॥
भारत माय के वीर बहादुर रखवाला छै।
दुश्मन के दिल दहलाबै छै॥
मलखान तिरंगा फहराबै छै।
भारत माय रोॅ मान बढ़ाबै छै॥
हिन्दी हमरोॅ राष्ट्रीय भाषा छेकै।
जन-गण-मन रोॅ आशा छेकै॥
प्रेम सब्भेॅ क्षेत्रीय भाषा सेॅ।
यहेॅ तेॅ भाषा रोॅ परिभाषा छेकै॥
हिन्दी छेकै राष्ट्रभाषा।
अंगिका हमरोॅ मातृभाषा॥
मलखान तिरंगा फहरावै छै।
भारत माय रोॅ मान बढ़ाबै छै॥