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भालू जी / उषा यादव

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काला कोट पहनकर अपना,
आए मिस्टर भालू जी।
मीठा शहद उड़ाकर भी हैं,
ये पूरे झगड़ालू जी।

डमरू जब बजता है डम-डम,
हो जाते यह चालू जी।
बच्चे सभी बजाते ताली,
नाच दिखाएँ भालू जी।

रामू के घर आज बने हैं,
गरमागरम कचालू जी।
न्योता देता है वह तुमको
पहुँच जाइए भालू जी।