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भीखमंगा / राधेश्याम चौधरी
Kavita Kosh से
भुखोॅ सेॅ
सुती गेलै धरती पर
गरीबी गिनैलोॅ नै जाय छै
कानतेॅ कानतेॅ सुती गेलैं
चारों बुतरू।
एक भीखमंगा
तन छै खाली
मोॅन छै भरलोॅ
दै छै सब्भे, सब्भैं केॅ
आशीर्वाद
हाथों मेॅ एक टाका
भुखलोॅ पियासलोॅ
नल मेॅ पानी नै छै
गाय-बकरी-भेड़ी
चिड़ियाँ-
सब्भैं एक्केॅ साथेॅ
पानी पीवी केॅ
भगवानोॅ केॅ कोसै छै
हे! भगवान
ई धरती पर तोॅ जनम कैहिनेॅ देल्होॅ
जनम देल्होॅ तेॅ
खाय-पीयै रोॅ इन्तजाम कैहिनेॅ नी करलोॅ।