भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूल तज भज राम सनेही / संत जूड़ीराम
Kavita Kosh से
भूल तज भज राम सनेही।
कपट कुसंग छांड़ छल छद्रिम कर विश्वास नाम पर नेही।
अपनो कहत जात सपनो सो अंतकाल नहिं आवत तेही।
जो भौसागर अगम भरो है वही जात दुरलभ या देही।
कर सतसंग साद गुरु सेवा जूड़ीराम भक्त उर लेही।