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भोर / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
तेज़ गति से
ठण्डे हाथ
एक-एक कर
खोलते हैं
अँधेरे की पट्टियाँ
मैं खोलता हूँ अपनी आँखें
अब तक
मैं जीवित हूँ
उस घाव के बीच
जो अभी भी ताज़ा है
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’