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भ्रष्टाचार / अनूप रंजन पांडेय
Kavita Kosh से
सुरसा के मुंह कस बाढ़त हे निस दिन भ्रष्टाचार
नेता, मंत्री, संतरी, साहेब, बाबू हवलदर॥
बाबू हवलदार, रंगे घूसख़ोरी रंग मा।
देश के बड़का मंत्री घालो, चलेहे संगमा
कह पांडे कविराय, बैपारी गज़ब मंजा उड़ावय।
महंगाई के मार के, जनता के नारी जुड़ावय।