यह नया वर्ष मंगलमय हो।
कण-कण में हो छवि का प्रकाश,
मन-मन में शुचि आनन्द-वास,
तन-तन में नूतन स्फूर्ति-तेज,
हो अधर-अधर पर सुमनहास,
क्षण-क्षण जन क नि: संशय हो।
थल-थल में फैले प्रीति-रीति,
दल-दल में निर्मल धर्म-नीति,
गल गल जाए छल-पाप-ताप
पल-पल सुन्दर-शिव-सत्प्रतीति,
तल-तल भूतल पर चिन्मय हो।
कट जाय क्लेश की कठिन रात,
पट जाय द्वेष का दीर्घ खात,
हट जाय अखिल भ्रम-तम-तमिस्र,
घट-घट में हो मंगल-प्रभात,
हिल-हिल खिल-खिल जग निर्भय हो।