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मंगलाचरण / कैलाश पण्डा
Kavita Kosh से
ओ ध्वनि के जीवन धन
तुम ही हो औंकार
अनुभूति के संवाहक हो
अंकनी के सृजनहार
भावों को साकार करो
ओ शब्द करो निर्माण।