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मछली की ढुलाई / मिरास्लाव होलुब / राजेश चन्द्र

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अदालत का सत्र ज़ारी है ।

जो कुछ भी छिपा है
उनका खुलासा किया जाना है ।

आख़िरी मछली-ताल में
आख़िरी मछली
सूखे बिस्तर पर
मरती हैं बेआवाज़ ।

और गलफड़ों का आतंक
और कीचड़ का आतंक

संतोषजनक तरीक़े से

चढ़ता ही जा रहा है आसमान तक ।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र