भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मछुआ गीत / श्रीस्नेही
Kavita Kosh से
हो हैया... हो हैया... हो हैया... हौ हैया... हो!
नद्दीं उमड़लऽ लबालब किनारऽ
नाव डोलै हो, छपाछप बोलै हो!
दुनिया भैया एक समुंदर
जिनगी सबके नौका हो!
पड़ीके भैया मंझधारऽ में
छोड़िहऽ नै पार के मौका हो!!
आन्धी ऐलै हो रात होलै हो!
नाव होलै हो छपाछप बोलै हो!!
हो हैया... हो हैया... हो हैया... हो हैया... हो!
डरलऽ जे-जे देखि बबंडर
हारी के बैठलऽ घरऽ में!
हिम्मत धरी के जे-जे बढ़लऽ
पयलक सुख संसारऽ में!!
ठनका ठनकै हो मेघ बोलै हो!
नाव डौलै हो छपाछप बोलै हो!!
हो हैया... हो हैया... होहैया... हो हैया... हो!