मेघों से घिरा आकाश है !
चहुँ ओर छाया,
बंद आँखों के सदृश,
गहरा अँधेरा,
घोंसलों में मूक चिड़ियाँ
ले रहीं सुख से बसेरा,
और हर अट्टालिका में
बज रहा मनहर पियानो, तानपूरा !
पर, टपकती छत तले
सद्यः प्रसव से एक माता आह भरती है !
मगर यह ज़िन्दगी इंसान की
मरती नहीं,
रह-रह उभरती है !