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ममता जाग उठलऽ हे / राम सिंहासन सिंह
Kavita Kosh से
आज
तोहर स्नेह पाके
ममता जाग उठल हे
आऊ तोहर प्यार भरल नजर में
हम आइना बनके खड़ा ही
तोहर इ नजर में।
उमंग के बहार हे
प्यार हे
हे प्रेयसी
तोहरे आँख से हम
दिल में उतरेला अड़ल ही
तोहर यौवन के स्वागत में
हम बसंत अइसन खिलल ही
फूट पड़लऽ हे हमर नया उमंग
तोर इ मोहक मुस्कान से
हम हरसिंगार से
बार-बार झड़ल ही
तू खुस होवऽ ह त
चाँद आउ सितारा भी खुस रहऽ हे
जमीन लगउत हे सुहावन
आऊ, आसमा भी
मिसरी बनके रस घोल रहल हे
तोहर खुसी में
हम सब कुछ लूटा रहली हे
कब अयऽब तू उरबसी वन के
सतरंगी मौसमी लाजमी मुस्कान लेके
बोल आऊ झरना अइसन कब झरब
सच तोहर दिल के साफगोई
हम सौ-सो बार मरऽ ही।