भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
महत्वाकांक्षा / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
आदमी
मगर क्यों होना चाहता है
शायद यह उसको भी मालूम नहीं
उसको पता भी नहीं
कि
उसको कितने लोग... बाद में
उसकी आरती या फजीहत
करेंगे
जब यह भी मालूम नहीं
तब भी
वह होना चाहता है अमर
और बांटता रहता है
पूरी-आलू की सब्जी
हलवे के साथ
खाने वाला भी जानता है
‘ऊपरी कमाई’ का चढ़ावा है
और बांटने वाला भी
जानता समझता सब है
‘पंडित जी’ की सलाह पर
कार्रवाई करता है
वाह रे
आदमी
ओ दोगले
बंद बटन के कोट वाले