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माँ-बापू कु दुःख / सुन्दर नौटियाल

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दुनियां मां कब देखुला, मां-बापू कु सुख ?
विधाता तेरू लिख्यूं छ, यू मां-बापू कु दुःख ।।

नौन्याळ ह्वै द्वि बरस ना
जना जेठ-आषाढ़ बरखा क तरसणा ।
लोग तौं पर छ हंसणा
जाणी क्या-क्या न बकणा ।।
कु बुझालु कु समझलु तौं, प्यासु कु दुःख ??
विधाता तेरू लिख्यूं छ............................।

घर मा द्वि नौन्याळ ह्वेगी
सारा घर मां खुशहाली छैगी ।
बोलण लैगी खेलण लैगी
जड्यानी का कार्ड बंटेगी ।
मां-बापू नि मिला आज संसार कु सुख ।
विधाता तेरू लिख्यूं छ.........................।

अपडु़ पेट काटि क तैं
छोड्यूं-मोड्यूं चाटिक तैं ।
रोज स्कूल पठाया अपड़ा
नौन्याळ डांटि-डांटिक तैं।
चोट लगी नौन्याळु त ब्वे-बाबू कु दुःख ।
विधाता तेरू लिख्यूं छ........................।