मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माधव जाय केबाड़ छोड़ाओल
जाहि मन्दिर बसु राधा
चीर उघारि अधर मुख हेरल
चान उगल छथि आधा
खीर कपूर पान हम बासल
आर सांठल पकवाने
सगरि रैनि हम बैसि गमाओल
खंडित भेल मोर माने
मथुरा नगर अंटकि हम रहलहुँ
किए ने पठाओल दूती
संग दुइ चारि पथिकसँ मिललहुँ
आलस रहलहुँ सूती
यौवन जोर कला गुन आगरि
से नागरि हम नाही
जाहि हित बन्धु संग रैनि गमाओल
पलटि जाह पुनि ताही
कमल नयन कमलापति चुम्बत
कुम्भकर्ण सन दापे
हरिक चरण धय गाओल विद्यापति
राधा कृष्ण विलापे
सुनू-सुनू कामिनी मालती रे
से आयल पासे
बाम दिशा पहु बैसत रे
पयबह अबकासे
पिउ-पिउ भाखथु पपिहरा रे,
चकइ करू आसा
नवल फुलायलि फुल लतिका रे
खाली भुज पासा
से छन आबि तुलायल रे
करू सकल सिंगारे
आब कहायब कामिनी रे
मोर देइ दुलारे
आजु साजि अलि आओत रे
करू कुमर बखाने
मान टुटत तुअ मातलि रे
नीरस मुख चाने