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मार्ग में / जोस इमिलिओ पाचेको / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
समय कहीं नहीं जाता
वह यही रहता है
हम गुज़र जाते हैं।
केवल हम ही
हो जाते हैं अतीत।
प्रवासी पक्षी आते हैं जैसे
हमारे सिरों के ऊपर
और धीरे-धीरे
ओझल हो जाते हैं नज़रों से
सुदूर किसी छोर की तरफ़।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र