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मित्रता और पवित्रता / भवानीप्रसाद मिश्र
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आडम्बर में
समाप्त न होने पाए
पवित्रता
और समाप्त न होने पाए
मित्रता
शिष्टाचार में
सम्भावना है
इतना-भर
अवधान-पूर्वक
प्राण-पूर्वक सहेजना है
मित्रता और
पवित्रता को !