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मिनख‘र तितली / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
समझ‘र
लाल रंग रै
चोळै नै
गुळाब रो फूल
आ‘र
बैठगी
खूंऐ पर
सतरंगी तितली,
करयो
पकड़णै सारू
जद हाथ ऊँचो
बा उडगी
सोच‘र
किंया हुग्यो
इण रूड़ै रूंखड़ै रो
लूंझड़ै मिनख जिस्यो सभाव ?