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मुक्ति / ध्रुव शुक्ल

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तुम्हारे पाँवों से चलकर आता है
तुम्हारे पास पेड़
तुम्हारे हाथों से तोड़कर
देता है तुम्हें फल
तुम्हारी आँखों से देखकर
पेड़ ख़ुश होता है
पेड़ वही करता है
जो तुम चाहते हो
पेड़ की तरफ़ तो देखो
एक छोटी-सी चीज़
बीज की मुक्ति को देखो
तीनों लोकों में मुक्त
छाया रस रंग ख़ुशबू से भरी
देखो घर बसाते
पक्षियों को देखो
फल खाते फ़ैलाते बीज को
छोटी-सी चीज़ को
मुक्ति के लिए
देखो