भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुक्ति का रास्ता / चार्ल्स बुकोवस्की / यादवेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारी ज़ि्न्दगी किसी और की नहीं
तुम्हारी है

इसे कभी उदासी घेरे
तो भी
किसी को यूँ ही थमा नहीं देना
 
हमेशा चौकस रहो
मुक्ति का रास्ता ज़रूर होगा
कहीं न कहीं रोशनी तो होगी
तुम्हें दिख जाएगी

मुमकिन है उसमें उतनी आभा न हो
लेकिन जितनी भी होगी
अन्धियारे को हरा तो देगी ही ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र