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मुन्ना जी / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
प्यारे-प्यारे मुन्ना जी,
बड़े दुलारे मुन्ना जी।
सारे ही घर की आँखों –
के हैं तारे मुन्ना जी।
हाथ हिलाएँ मुन्ना जी,
पैर चलाएँ मुन्ना जी।
नहीं समय पर दूध मिले,
शोर मचाएँ मुन्ना जी।
[लोटपोट, सं। 496; 27 सितंबर 1981]
नन्हें-मुन्ने मुन्ना जी,
हीरे-पन्ने मुन्ना जी।
तुतली बोली में लगते-
मीठे गन्ने मुन्ना जी।
[नन्दन, जनवरी 1988]