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मुसाफ़िर / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
मेरे दिल की धड़कनों में,
तूफां सा चल रहा है।
सोया हुआ था अजगर,
अब आंख मल रहा है।
एक अंधे सफर जैसा,
मेरा तुम से मरासिम है।
रिश्तों का मुसाफिर भी,
गिर-गिर के चल रहा है।