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मृतक-सम्मान / तारानंद वियोगी
Kavita Kosh से
जीवित पिता कें पानियो ने देलह
मरल पर उपछै छह पानि
घर मे बुढिया़ हकन्न कनै छह
कोना भेटै छह सुख-चैन?
हौ भाइ जोगीलाल
नान्हिटाक जिनगी छह
एना कहिया धरि करबह?
हौ, ई दुनिञा ओही दिन नहि मरि जेतै
जहिया तूं मरबह....
(ई कविता मैथिलीक आन्तरिक साहित्यिक राजनीतिक बारे मे लिखल गेल अछि। एतय "बुढिया" मैथिली कें कहल गेल छै)