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मेरा जोर नहीं चलता है / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
मेरा जोर नहीं चलता है!
स्वप्नों की देखी निष्ठुरता,
स्वप्नों की देखी भंगुरता,
फिर भी बार-बार आ करके स्वप्न मुझे निशिदिन छलता है!
मेरा जोर नहीं चलता है!
सूनेपन के सुंदरपन को,
कैसे दृढ़ करवा दूँ मन को!
उतनी शक्ति नहीं है मुझमें जितनी मन में चंचलता है!
मेरा जोर नहीं चलता है!
ममता यदि मन से मिट पाती,
देवों की गद्दी हिल जाती!
प्यार, हाय, मानव जीवन की सबसे भारी दुर्बलता है!
मेरा जोर नहीं चलता है!