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मेरे कुँवर कन्हैया सो जा / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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मेरे बाल कन्हैया सो जा
मेरे कुंवर कन्हैया सो जा
मोर पंख मैं लाऊंगी
तेरा मुकुट सजाऊँगी
एक बांसुरी भी ला दूँगी
कान्हा तुझे बनाऊँगी
तुझे झुलाये मैया सो जा
मेरे बाल कन्हैया सो जा
डोर खींचते धीरे धीरे
देख मुझे भी नींद आ गई
तू अब भी आँखें झपकाता
ले गुड़िया भी हाथ आ गई
ओ मुसकाने वाले सो जा
मेरे बाल कन्हैया सो जा
थपकी देती लोरी गाती
अब तो प्यारे सो जा तू
ऊँ ऊँ करते हंसते-हंसते
आँख मूँद कर सो जा तू
निंदिया आयेगी अब सो जा
मेरे बाल कन्हैया सो जा