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मेरे ख़्वाब सुंदर हैं / विम्मी सदारंगाणी
Kavita Kosh से
मैं सुंदर नहीं हूँ।
मेरे बाल घटाओं जैसे नहीं हैं
न ही मेरी हँसी झरने जैसी है
मेरी आँखों में समुंदर भी नहीं है
मेरी अंगुलियाँ तराशी हुई नहीं हैं
मेरे पैर छोटे छोटे, सफ़ेद नहीं हैं
मेरे हाथ कोमल नहीं हैं
मेरे गालों में गढ्ढे नहीं पड़ते
मेरे होंठ गुलाबी नहीं हैं
मेरे ख़्वाब सुंदर हैं।
सिन्धी से अनुवाद : स्वयं कवयित्री द्वारा