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मेरे शहर के पाटे- 1 / राजेन्द्र जोशी

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मेरे शहर में आना
रात में या दिन में
यह तुमको तय करना हैं
समय तुम्हारा- शहर हमारा
किसी भी गली में आ जाना
साफ सुथरा पाटा
स्वागत को तैयार
पनवाड़ी की दुकान
तुम्हारें सम्मान में हाजिर
हर वक्त खुले होगें
मेरे शहर के मन के द्वार
हर व्यक्ति चर्चा में मशगूल
वार्ड से लेकर यू. एन. ओ. तक की चर्चा
समय तुम्हारा- शहर हमारा