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मैं 'मौन' हूँ / एल्सा ग्रावे
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मैं मौन हूँ
उस मीन का जो तैरती है
गहरे में समुद्री फूलों के मार्ग पर
समुद्री शैवाल कुञ्जों के बीच से.
मैं चुप्पी हूँ अंडे की
जिसमें बढ़ता है पक्षी
नीले कवच के तहत
और रक्त के घूमते जालक्रम में.
मैं वह मौन हूँ
जो मूक फूल महसूसते हैं
जब पेड़ गाते हैं अपने तूफानों का गीत,
मैं वो हूँ जो है स्थित
पृथ्वी के श्वेत हृदय में.
मैं नहीं हूँ भावशून्यता, न ही क्षयता
और कठोरता,
मैं पत्थर का मौन हूँ
वह कठोर पत्थर
मेरी भयानक चीख है.
(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)