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मैं / श्रीकांत वर्मा
Kavita Kosh से
मैं एक भागता हुआ दिन हूँ और रुकती हुई रात-
मैं नहीं जानता हूँ
मैं ढूँढ़ रहा हूँ अपनी शाम या ढूँढ़ रहा हूँ अपना प्रात!