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मैं अकेला / उर्मिल सत्यभूषण
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सुधियों का मेला
फिर भी हाय
मैं अकेला
किधर से ये
आंधियाँ, तूफान
कैसे आये हैं?
सिसकती परछाईयां
है-कांपते
से साये हैं
छुप गया सूरज
है डसती
काली-काली
सांध्य बेला
मैं अकेला
मैं अकेला
अभी तो थे अभी
नहीं
घने तम ने रोशनी
की खिड़कियां अब तक न खोली
सत्य है या है ठिठोली
क्रूर नियति ने
कठिनतम
खेल हमसे कैसा खेला
तुम, अकेले वो गये
छोड़कर मुझको अकेला