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मैं कहाँ बीत रहा हूँ? / सुतिन्दर सिंह नूर
Kavita Kosh से
जो मेरे भीतर बीत रहा है
वो बाहर नहीं बीत रहा
जो बाहर बीत रहा है
वो मेरे भीतर नहीं बीत रहा
जैसे मैं बीत रहा हूँ
वो न भीतर बीत रहा है
न बाहर बीत रहा है
मैं ढूँढ़ रहा हूँ
मैं कहाँ बीत रहा हूँ।
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : तरसेम