धरती बोले अंबर बोले
नदियाँ बोलें सागर बोले
मैं क्यों बोलूं भाया
कि मैं कौन देस से आया
बोलें पड़ोसी परिचित बोलें
बोलें अपरिचित चर्चित बोलें
मैं क्यों बोलूं भाया
कि मैं कौन धर्म का जाया
करुणा बोले साहस बोले
जनहित बोले राहत बोले
मैं क्यों बोलूं भाया
कि कितनी मुझमें माया
पीड़ित बोलें निर्भर बोलें
बोले प्रकृति सहचर बोलें
मैं क्या बोलूं भाया
कि कितना मैंने खाया।