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मैं गया था / कंस्तांतिन कवाफ़ी
Kavita Kosh से
रोका नहीं था मैंने अपने को ।
छोड़ दिया था बिल्कुल छुट्टा ख़ुद को
और गया था ।
भोगविलास ओर जो थे आधे असली -
आधे थे भटकते मेरे भेजे में,
मैं गया था आलोकित रात में;
और गटक ली थी तेज़ शराब हलक में,
ऐसे जैसे
पीते हैं विलासिता के मरदाने ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पीयूष दईया