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मैं बचपन से चोर था / अमिताभ बच्चन
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मैं बचपन से चोर था
चोर ही रहा जीवन भर
जेब से पैसे चुराए
पेड़ से आम नींबू
बहती नाव से तरबूजे
पानी से छोटी मछलियाँ
क़िताबों से कविताएँ
डाकू न बन सका
गिरोह नहीं बनाए
सच्चे कायरों की तरह
आदमी और कवि
दोनों रोए पछताए