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मोकदमाबाज / पतझड़ / श्रीउमेश
Kavita Kosh से
मोॅर-मोकदमाबाजोॅ के अड्डा छेकै हमरे छाया।
साँझ-सबेरे-देखै छी हिनका सब के अद्भुत माया॥
करोॅ पैरबी, तभी मोकदमा में भजैथौं तोहरोॅ जीत।
हत्या-चोरी-ब्लैक मार्केटिंग, सव के छेकै एक्के रीत॥
खरचा जौनें जत्तेॅ करतोॅ न्यायालय छै ओकरे ओर।
चाहे कत्तो खूनी छै डाकू छै याकि निकस्मलचोर॥
मोॅर मोकदमा होथै छै कचहरियौ के सजथैं छै साज।
लेकिन यै पतझड़ में फटकै नैं छै एक मोकदमाबाज॥